मैं बेचैन सा लगता हूँ ,वो राहत जैसी लगती है, मै सो जाता हूँ ख्वाबों में,वो भीतर मेरे जगती है..!! मै

मैं बेचैन सा लगता हूँ ,वो राहत जैसी लगती है,
मै सो जाता हूँ ख्वाबों में,वो भीतर मेरे जगती है..!!

मै हूँ जन्म जन्म का प्यासा,भरी हुई नदी वो,
मेरे विचलित मन के भीतर,वो अग्नि सी तपती है..!!

मैं बेचैन सा लगता हूँ ,वो राहत जैसी लगती है, मै सो जाता हूँ ख्वाबों में,वो भीतर मेरे जगती है..!! मै हूँ जन्म जन्म का प्यासा,भरी हुई नदी वो, मेरे विचलित मन के भीतर,वो अग्नि सी तपती है..!!