बस इतना चाहिए तुझसे ऐ ज़िन्दगी, की जमीं पे बैठु तो लोग उसे बड़प्पन कहे, औकात नहीं।

बस इतना चाहिए तुझसे 
ऐ ज़िन्दगी,
की जमीं पे बैठु तो लोग उसे बड़प्पन
कहे, औकात नहीं।

बस इतना चाहिए तुझसे ऐ ज़िन्दगी, की जमीं पे बैठु तो लोग उसे बड़प्पन कहे, औकात नहीं।