नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज, बोली लगाने वाले भी वो ही थे, जो कभी झोली फैला कर माँगा

नीलाम कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज,
बोली लगाने वाले भी वो ही थे,
जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे।

नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज, बोली लगाने वाले भी वो ही थे, जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे।