इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता, कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता,
कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता, कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।