जो ना मिले उसी की चाहत क्यों होती हैं..… जो मिल जाए उसके लिए दिल में चाहत क्यों नहीं होती.. जिसे सम

जो ना मिले उसी की चाहत क्यों होती हैं..…
जो मिल जाए उसके लिए दिल में चाहत क्यों नहीं होती..

जिसे समझते हैं वो हमे समझता कहा हैं...
जो हमे समझता है उसे हम कहा समझते हैं.....

जो ना मिले उसके पीछे भागते हैं....
जो मिल जाए उसकी कदर कहां होती हैं...

जो ना मिले उसी की चाहत क्यों होती हैं..… जो मिल जाए उसके लिए दिल में चाहत क्यों नहीं होती.. जिसे समझते हैं वो हमे समझता कहा हैं... जो हमे समझता है उसे हम कहा समझते हैं..... जो ना मिले उसके पीछे भागते हैं.... जो मिल जाए उसकी कदर कहां होती हैं...