राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता,, अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं र

राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता,,

अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता....

राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता,, अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता....