साहिल पे बैठे यूँ सोचता हुं आज, कौन ज़्यादा मजबूर है.? ये किनारा, जो चल नहीं सकता, या वो लहर, जो ठह

साहिल पे बैठे यूँ सोचता हुं आज,
कौन ज़्यादा मजबूर है.?

ये किनारा, जो चल नहीं सकता,
या वो लहर, जो ठहर नहीं सकती...

साहिल पे बैठे यूँ सोचता हुं आज, कौन ज़्यादा मजबूर है.? ये किनारा, जो चल नहीं सकता, या वो लहर, जो ठहर नहीं सकती...