वो हुस्न ग़ज़लों से भरी एक डायरी है, 'अहमद' की नज़रों से देखो हर बात शायरी है ! बना ज़िस्म तो रगें भी

वो हुस्न ग़ज़लों से भरी एक डायरी है,
'अहमद' की नज़रों से देखो हर बात शायरी है ! 

बना ज़िस्म तो रगें भी तरन्नुम में बनी,
दिल का लय में धड़कना भी शायरी है ! 

निगाहें मिसरे हैं लब हैं काफ़िया जैसे,
वो लटों का चूमना मुखड़ा भी शायरी है !

सुराही गर्दन से ढलकता यौवन देखो,
सांसों का उठ के गिरना भी शायरी है ! 

कमर के बल से बदलते मौसम सारे,
लचक के हौले से चलना भी शायरी है ! 

हाथ के कंगन गले का हार शायरी है,
वो नाज़ुक पाज़ेब की झनकार शायरी है !
©अhमαद

वो हुस्न ग़ज़लों से भरी एक डायरी है, 'अहमद' की नज़रों से देखो हर बात शायरी है ! बना ज़िस्म तो रगें भी तरन्नुम में बनी, दिल का लय में धड़कना भी शायरी है ! निगाहें मिसरे हैं लब हैं काफ़िया जैसे, वो लटों का चूमना मुखड़ा भी शायरी है ! सुराही गर्दन से ढलकता यौवन देखो, सांसों का उठ के गिरना भी शायरी है ! कमर के बल से बदलते मौसम सारे, लचक के हौले से चलना भी शायरी है ! हाथ के कंगन गले का हार शायरी है, वो नाज़ुक पाज़ेब की झनकार शायरी है ! ©अhमαद