धड़कने तेरे साथ चली गई अब ये दिल खामोश रहता है जिक्र नहीं करता मैं किसी से तेरा नाम सिर्फ जहन में रहता है उजालों से नफरत हो गई मुझे ये दिल अंधेरों को घर कहता है बेवफा नहीं शायद मजबूर था वो जिसे दिल आजतक हमसफर कहता है मिट जाए ये मनहूस लकीरें हाथो को वो पागल पत्थरों पे पटकता रहता है क्या मजाल एक बार झपक जाए सीने का दर्द आंखो से बहता रहता है JB Singh