देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब, सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से।

देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब,

सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से।

देखते हैं अब क्या मुकाम आता है साहब, सूखे पत्ते को इश्क़ हुआ है बहती हवा से।