सोचती हूं तुम मेरा ख्याल तो नहीं, और हकीक़त हो गर तो सामने आओ ना, यूं तो कई बार तुम ख्वाबों में आए हो, गर सच हो तुम तो बाहों में आओ ना, हाथों में मेरी लार्जिस हो रखी है, थाम कर इसे रोकने को आओ ना, यूं तो रोई कई बार हूं मै तन्हाई में, आज तन्हा रहने को मन नहीं, तुम महफ़िल सजाने को आओ ना,।। #FromSubscriber