चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा, मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा, ना उतरा कभी मेरी ज़िंदगी की झील म

चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा,
मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा,
ना उतरा कभी मेरी ज़िंदगी की झील में,
बस किनारे पर बैठा पत्थर फेंकता रहा।

चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा, मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा, ना उतरा कभी मेरी ज़िंदगी की झील में, बस किनारे पर बैठा पत्थर फेंकता रहा।