किसी भी शर्त पे मंज़ूर उसकी कुर्बत थी, जो दोस्ती है अभी कल वो ही मोहब्बत थी, कमाल ये है कि जब भी कि

किसी भी शर्त पे मंज़ूर उसकी कुर्बत थी,
जो दोस्ती है अभी कल वो ही मोहब्बत थी,

कमाल ये है कि जब भी किसी से बिछड़े हम,
यही लगा कि यही आख़िरी मोहब्बत थी. .!

किसी भी शर्त पे मंज़ूर उसकी कुर्बत थी, जो दोस्ती है अभी कल वो ही मोहब्बत थी, कमाल ये है कि जब भी किसी से बिछड़े हम, यही लगा कि यही आख़िरी मोहब्बत थी. .!