मेरे महबूब को ही मेरी क़दर नहीँ, वरना शहर के सारे हसीं मुझसे एक मुलाक़ात की फ़िराक़ में रहते हैँ...

मेरे महबूब को ही मेरी क़दर नहीँ,

वरना
शहर के सारे हसीं मुझसे एक मुलाक़ात की फ़िराक़ में रहते हैँ...!!

मेरे महबूब को ही मेरी क़दर नहीँ, वरना शहर के सारे हसीं मुझसे एक मुलाक़ात की फ़िराक़ में रहते हैँ...!!