इसे इत्तेफाक समझो
या दर्द भरी हकीकत,
आँख जब भी नम हुई,
वजह कोई अपना ही था।
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इसे इत्तेफाक समझो
या दर्द भरी हकीकत,
आँख जब भी नम हुई,
वजह कोई अपना ही था।
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वक़्त बहुत कुछ, छीन लेता है...
खैर मेरी तो सिर्फ़ मुस्कुराहट थी।