मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख... फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख... तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले... तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर देख... तू है अगर तू ही है मेरी नज़र में बस... मेरी सबरे ख़ामोशी का शवव समझ कर देख... मैं कहती हूं इश्क़❤️ ही हो जायेगा मुझसे... तू मेरी किसी ग़ज़ल का मतलब समझ कर देख... है आरजू अगर आरजू को आरजू ही रख... तन्हाइयों में जीने का अदब समझ कर देख..... .....