ख़्वाब में मेरे उसका किस्सा चलता है, अपना तो बस इतना हिस्सा चलता है, जब उसका जी चाहे तब वो बात करें,

ख़्वाब में मेरे उसका किस्सा चलता है,
अपना तो बस इतना हिस्सा चलता है,
जब उसका जी चाहे तब वो बात करें,
उसकी मर्ज़ी से ही रिश्ता चलता है।

ख़्वाब में मेरे उसका किस्सा चलता है, अपना तो बस इतना हिस्सा चलता है, जब उसका जी चाहे तब वो बात करें, उसकी मर्ज़ी से ही रिश्ता चलता है।