**__है इश्क तो फिर असर भी होगा, जितना है इधर , उधर भी होगा। 😍__**
खुदा सलामत रखे उनकी आँखो की रौशनी , जिनकी नज़रों को हम चुभते बहुत है।।
वह मस्जिदों की बात करती है, मैं मंदिरों में खोया रहता हूं... वह चार टाइम की नमाज पड़ती है, मैं महादेव का जाप करता रहता हूं... वह वहां कुरान पड़ती है, तो मैं यहां गीता पढ़ता हूं.... जानता हूं नहीं कहानी कोई इस मोहब्बत की फिर भी उसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं...!
दर्द बन कर दिल में छुपा कौन है, रह रह कर इसमें चुभता कौन है, एक तरफ दिल है और एक तरफ आइना, देखते है इस बार पहले टूटता कौन है।
**__तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया, रातों को जागते रहे और दिन को सो गए। 💔__**
लोगों को शोर में नींद नहीं आती, मुझे एक इंसान की खामोशी सोने नहीं देती...
अब मजीद उससे ये रिश्ता नहीं रखा जाता जिस से इक शख़्स का परदा नहीं रखा जाता एक तो बस में नहीं तुझ से मुहब्बत न करू और फिर हाथ भी हल्का नहीं रखा जाता पढ़ने जाता हूं तो तस्मे नहीं बांदे जाते घर पलटता हूं तो बस्ता नहीं रखा जाता दर-ओ-दीवार पे जंगल का गुमां होता है मुझ से अब घर में परिंदा नहीं रखा जाता Tehzeeb Hafi
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 पुराना जहर नयें नाम से, यूँ पिला रहा है ये सिरफिरा इश्क मुझे फिर से, आजमा रहा है.... 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
**#ग****ुलज़ार साहब🌷🌷 ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़्साने में दर्द मज़े लेता है जो दोहराने में दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है किस की आहट सुनता हूँ वीराने में हम इस मोड़ से उठ कर अगले मोड़ चले उन को शायद उम्र लगेगी आने में....**
अकेला था तो कलम बस दर्द लिखती थी, तुम्हारे आने से कलम अब तुम्हे ही लिखती है...🖤🥀
जोरू का गुलाम कहना हो तो कह देना, 🙄🙄 मैं तो उसे सर पर बिठा के रखूँगा जो मेरे लिए अपना घर छोड़ कर आएगी 😍🥰❤
दिलों पर तो लोग बेवजह इल्जाम लगाते है, इल्जाम तो उनपे लगाओ जो आधे में ही छोड़ जाते।। 🖤🖤
जब भी मिलता है एक नया अफसाना लिखता है। हर खत में मुझकों वो अपना दीवाना लिखता है। मुझकों ही वो अपनी जागीर समझता है ऐ राज। छोड़कर मुझकों जाना मत ये बन अनजाना लिखता है।।
मौत का रास्ता भी नजर नहीं आता है अब कसम जो खाई थी कभी साथ जीना और मरना है
हम कहाँ किसी के लिए खास हैं, ये तो हमारे दिल का अंधविश्वास हैं
लगा कर आग गुलशन में वो हाले दिल पूछते हैं। अरे तुम क्या जानोगे हम तुमहारे बारे क्या सोचते हैं। मेरी और तेरी सोच का ये हमेशा फासला रहा। जिन पत्थर को तुमने राह का रोड़ा समझा उसी को हम पूजते हैं।।
जरूरत ही नहीं उस जीत की जिसमे तुम न हो, तुम्हारे साथ की खातिर चलो हम हार जाते हैं..!!
बहुत हौसले वाला लड़का था वो पर उसे भी मैंने देखा है किसी की याद में रोते हुए...
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है, ज्ञान तो वही हैं जो किरदार में झलके..!!
कुछ लोग ज़रा देर में खुलते हैं किसी से... पहली ही मुलाक़ात से मायूस न होना...
सालों गुजर गये हैं मगर फिर भी कमाल है..!! इस दिल में अब तलक जिंदा उसका ख्याल है..!! 😞😞
खाया होता यदि धोखा सिर्फ मोहब्बत में । तब भी मुस्कुरा लेते हम इस गम भारी जिंदगी में इश्क , दोस्ती ,बहन , भाई सबने ही तो तोड़ दिया है मुझे 😞😞
**जितना चाहे दिल को चीखने और चिल्लाने दो, जो तुम्हारी ना सुने उसे जाने दो.🥀**
Wo Mujhe Khone Se Darta Tha Phir Uska Ye Darr Kisi Ne Door Kar Ke Meri Mohabbat Ka Mazaq Bana Diya!
वो हुस्न ग़ज़लों से भरी एक डायरी है, 'अहमद' की नज़रों से देखो हर बात शायरी है ! बना ज़िस्म तो रगें भी तरन्नुम में बनी, दिल का लय में धड़कना भी शायरी है ! निगाहें मिसरे हैं लब हैं काफ़िया जैसे, वो लटों का चूमना मुखड़ा भी शायरी है ! सुराही गर्दन से ढलकता यौवन देखो, सांसों का उठ के गिरना भी शायरी है ! कमर के बल से बदलते मौसम सारे, लचक के हौले से चलना भी शायरी है ! हाथ के कंगन गले का हार शायरी है, वो नाज़ुक पाज़ेब की झनकार शायरी है ! ©अhमαद
इज़्ज़त करने पर आऊं तो मुझ सा बाअदब कोई नही, किसी बात पर डट जाऊं,,, तो बगावत मशहूर है मेरी...
**कुछ चीजों को कितनी भी शिद्दत से चाहो, वो सिर्फ हसरत की तरह ही रह जाती है।**
**में तुम्हे दोस्त तो बना लूंगा मगर तुम्हे मुझ से मुहब्बत हो जाएगी**
ये सारे पत्थर, मेरे तरफ ही क्यों दुनिया वालों, मैं अपनी लैला का इकलौता मजनू ही थोड़े हूं।
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मंजिल का नाराज होना जायज था तुम भी तो अनजान राहों से दिल लगा बैठे थे!!!
तुम मेरे हो, ये वहम है ये वहम भी मेरे लिए कितना अहम हैं. 💔
तुझे चंद शायरी में कैसे मै बयां कर दूं मेरे जन्मों का ख़्वाब और वर्षों का इंतजार है तू।
मुझे नहीं मालूम वो पहली बार कब अच्छा लगा मगर उसके बाद कभी बुरा भी नहीं
**__तुमने ही बदले हैं सिलसिले अपनी वफाओं के, वरना मुझे तो आज भी तुमसे अजीज कोई नही.__** 💔
मैंने कब कहा के मुझकों अबके अब समझ के देख... फ़ुर्सत मिले दुनियां से मुझकों तब समझ कर देख... तू है अगर हवा तो मुझे परिन्दा मान ले... तू है अगर दरिया तो मेरी तलब समझ कर देख... तू है अगर तू ही है मेरी नज़र में बस... मेरी सबरे ख़ामोशी का शवव समझ कर देख... मैं कहती हूं इश्क़❤️ ही हो जायेगा मुझसे... तू मेरी किसी ग़ज़ल का मतलब समझ कर देख... है आरजू अगर आरजू को आरजू ही रख... तन्हाइयों में जीने का अदब समझ कर देख..... ♡ ㅤ ❍ㅤ ⎙ㅤ ⌲ ˡᶦᵏᵉ ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ ˢᵃᵛᵉ ˢʰᵃʳᵉ
कौन सुनेगा हाल मेरे दिले घायल की। ये तो कयी बार टूटा है आवाज सुनके पायल का। आजकल तो हर कोई प्यार करता है मुझे। कहते है लोग ऐ राज बड़ा अच्छा दिल है इस पागल का।।
**तेरे सही होने की लोगों को हम कुछ ऐसे मिसाल देते है, दिल में गम रखकर हसी की स्माइली के साथ बातों को टाल देते है।**
मैं क्या बताऊं तुम्हें कैसा है वो, मेरे लिए मेरी धड़कन के जैसा है वो, चाहत,मोहब्बत,प्यार और क्या नाम दूं.. इश्क़ है मेरा,सुकून के जैसा है वो।
**__जब किसी को चाहना खता हो जाती है, खुशी ज़िन्दगी से लापता हो जाती है, बेनूर नज़र आती हैं महफिलें सभी, साँस-ए-जिस्म दर्दों की पता हो जाती है! 💖__**
छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे, ये खामोश गजल मैं तुमको सुनाऊं कैसे, दर्द गहरा हो तो आवाज़ खो जाती है, जख़्म से टीस उठे तो तुमको पुकारूं कैसे, मेरे जज़्बातों को मेरी इन आंखों में पढ़ो, अब तेरे सामने मैं आंसू भी बहाऊं कैसे, इश्क तुमसे किया, जमाने का सितम भी सहा, फिर भी तुम दूर हो हमसे, ये जताऊं कैसे. 😰
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कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है।
**स्पर्श वो नहीं जिसने शरीर को पाया हो स्पर्श वो जिसने आत्मा को गले लगाया हो...!!**
हिम्मत तो इतनी थी कि समुद्र भी पार कर सकते थे मजबूर इतना हुए कि दो बुंद आंसूओं ने डुबा दिया
कितनी मासूम होती है ये दिल की धड़कनें, कोई सुने या ना सुने ये खामोश नही रहती...
सूरज के बाद चाँद और चाँद के बाद सूरज गोल घूमती धरती पर ठहरने के भरम में हूँ 🥀
कई बार फासले रिश्तों को कमजोर कर देते हैं मोहब्बत है उसके लिए तो वक्त निकाल कर रखना, मैंने खो दिया नायाब हीरा, हद से ज्यादा एतबार में ए कमबख्त रकीब, इसे तू संभाल कर रखना। JB Singh
सलीक़े से हवाओं में, जो ख़ुशबू घोल देते हैं... अभी भी कुछ लोग बाकी हैं जो; मुश्किलों में भी मीठा बोल लेते हैं...
**__आज मैंने दिल को थोड़ा साफ़ किया, कुछ को भूला दिया, कुछ को माफ़ किया.__** 🖤